Jindagi ki dastaan
अज़ीब है जिंदगी भी, हम क्या सोचते हैं
क्या हो जाता हैं
वो हमें इजाजत न दे, उन्हें दीदार करने का
ये निगाहें भी , ये ज़ुल्म बार बार करती हैं
उसके होंठ जब मुस्कुराते हैं,
ए खुदा!! समय रुक जाता हैं
इस कायनात का !!!!!
दर्द को छुपाने की कला सिख ली हमने
अब दुनिया हमे हँसमुख कहती हैं
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